Summary of the Book
साधकको चाहिये कि वह एकांन्तमें बैठकर शुद्ध वृत्तिसे इस पुस्तकके अन्तर्गत 'वर्णनातीतका वर्णन 'नामक लेखको पढे़ | केवल श्ब्दोंपर दृष्टी न रखकर अर्थ एवं तत्वकी तरफ दृष्टी रखते हुए पढे़ ,पढ़कर विचार करे और विचार करके बाहर-भीतरसे चुप हो जाय तो तत्वमें स्वतःसिध्द स्थिरता जाग्रत् हो जायगा और मनुष्यजीवन सफल हो जायगा |