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#Henry David Thoreau
ये गाना हेनरी डेविड थोरो ने नहीं लिखा। इस गाने को साहिर लुधियानवी जी ने लिखा है, लेकिन इसमें भी थोरो के सिद्धांत की झलक आपको मिल ही जाएगी-
“तोरा मन दर्पण कहलाए
भले, बुरे, सारे कर्मों को देखे और दिखाए
सुख की कलियां, दुख के कांटे
मन सब का आधार
मन से कोई बात छुपे ना
मन के नैन हजार
जग से चाहे भाग ले कोई, मन से भाग ना पाए…”
महात्मा गांधी को सविनय अवज्ञा आन्दोलन की प्रेरणा हेनरी डेविड थोरो से प्राप्त हुई । उनकी प्रार्थना को गांधी जी ' प्रार्थनाओं की प्रार्थना ' कहते थे । उनकी प्रार्थना थी-----
" हे प्रभो ! मुझे इतनी शक्ति दे दो कि मैं अपने को अपनी करनी से कभी निराश न करूँ । मेरे हस्त, मेरी द्रढ़ता, श्रद्धा का कभी अनादर न करें । मेरा प्रेम मेरे मित्रों के प्रेम से घटिया न रहे । मेरी वाणी जितना कहे-- जीवन उससे ज्यादा करता चले । तेरी मंगलमय स्रष्टि का हर अमंगल पचा सकूँ, इतनी शक्ति मुझ में बनी रहे । "