Summary of the Book
वरिष्ठ कथाकार अमरकांत का यह उपन्यास एक निर्दोष और संवेदनशील लड़की की कथा है, जिसके इर्द-गिर्द भारतीय सामन्तवाद के अवशेषों की नागफनियाँ फैली हुई है| उनका कुंठाजनित अहंकार, हठधर्मिता और सर्वोच्चता का मिथ्या भाव उसकी सहज मानवीय इच्छाओं और आकांक्षाओं को बाधित करता है|
भारतीय समाज से सामन्तवाद के समाप्त होने के बावजूद अपने स्वर्णिम युगोंका खुमार एक वर्ग में लम्बे समय तक बचा रहा, और आज भी जहाँ-तहाँ यह दिखाई पड़ जाता है| गुजरे जमानों की स्मृतियों के सहारे जीते हुए ये लोग नए समय के मूल्यों-मान्यताओं को जहाँ तक सम्भव हो, नकारते है, और उनकी शिकार होती है वे नई नस्ले जो जिंदगी और समाज को नए नजरिए से देखना, जानना और जीना चाहती है|
इस उपन्यास की पंक्तियों में बिंधी व्यथा उन लोगों के लिए एक चेतावनी की तरह है जो आज भी उन बीते युगों को जीने की कोशिश करते है|