डॉ. सौ. रमा गिरी M.A. Ph.D. (Hindi) सहकारनगर, पुणे ९४२२०३२०७९
03 Nov 2017 05 30 AM
संस्कृत साहित्य का एक महत्वपूर्ण आयाम है 'सुभाषित'। सुभाषित याने सुवचन। मराठी में हम इसे सुविचार कहते हैं । रचनाकर्ता सिर्फ़ दो या चार पंक्तियोंमें बड़ीही कल्पकतासे जीवनसंबंधी आशय व्यक्त करता है। ये गेय होते हैं, जिससे हम आसानीसे कंठस्थ कर सकते हैं । गागरमें सागर भर देनेवाले हज़ारों सुभाषित संस्कृत साहित्यमें विपुल मात्रामें हैं। इनका चयन करना बहुतही कठिन काम है। गोताख़ोर सागर की अतल गहराई में बार बार डुबकियाँ लगाता है। महत् प्रयाससे, बड़ी सतर्कतासे अनमोल मोती खोजकर लाता है। ठीक उसी प्रकार आदरणीय अग्निहोत्रीजी ने संस्कृत साहित्य रूपी महासागरसे चुन-चुनकर यह रत्नोंकी ये गठरी ढूँढ निकाली है। अब इन्हे सही ढंगसे सजाना भी उतनाही मुश्किल काम था।
आम तौर पर बीस या पच्चीस सुभाषितोंकी पुस्तक मैंने देखी है। इस 'सुभाषितरत्नमाला' पुस्तक में लगभग तीनसौं सुभाषितोंका अंबार सा लगा है। इनका वर्गीकरण बहुरंगी है - देव देवता, काव्यशास्त्रविनोद, श्रीमद्भगवतगीता, नीतिपरक, उपदेशपर, सज्जन प्रशंसा, दुर्जननिंदा, ज्ञान, उद्यमशीलता, गुणवर्णनपर, प्रहेलिका आदि।
डॉ. सौ. रमा गिरी M.A. Ph.D. (Hindi) सहकारनगर, पुणे ९४२२०३२०७९
03 Nov 2017 05 30 AM
और तो और इन्होंने इन सभी सुभाषितोंका अंग्रेज़ी, मराठी और हिन्दी में बहुतही सरल अनुवाद किया है। यह और ही कठिनतम कार्य इन्होंने बहुत ख़ूबिसे, सहजता से निभाया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि केवल संस्कृतही नहीं तो अंग्रेज़ी, मराठी और हिन्दी - इन चार ही भाषाओं पर इनका प्रभुत्व है। इन्होंने ये भाषाएँ अंग्रेज़ी मिडियममें पढ़नेवाले हाईस्कूल छात्राओं को कितनी आत्मीयतासे पढ़ाई होगी, इसका हम अंदाज़ा लगा सकते हैं। इन्होंने अध्यापन से भी बढ़कर इन भाषाओंका गहरा अध्ययन किया है। तभी तो इन्हें इन भाषाओंका वैभव प्राप्त हो चुका है।
संस्कृतके शिक्षक, छात्र, संस्कृतप्रेमी तथा साधारण पाठक के लिए उपयोगी सुभाषितोंका इस पुस्तकमे संकलन किया है। ये सुभाषिते कहींपर संदेश देते हैं तो कहींपर हमें कार्य, उद्यम करने के लिए प्रेरित करते हैं। अच्छे और बुरे की पहचान भी करा देते हैं। 'सुभाषितरत्नमाला' यह पुस्तक निश्चित संग्राह्य है। इनका यह प्रयास तारीफ़के क़ाबिल है।
डाॅ. माधव ज. कशाळीकर M.A.(Skt),PhD,Ex-Principal DevChand College
02 Jun 2017 05 30 AM
माझे मित्र प्रा. विनायक अग्निहोत्री यांनी संपादित केलेले ३०३ सुभाषिते आणि त्यांचे इंग्रजी, मराठी व हिंदीत उत्तम भाषांतर असलेले 'सुभाषितरत्नमाला' हे पुस्तक लक्षपूर्वक वाचले. संस्कृत साहित्यात सुभाषितांचे स्थान अद्वितीय आहे. इतर भाषांच्या साहित्यात हा प्रकार आढळत नाही. प्रत्येक सुभाषित हे एक स्वतंत्र काव्यच असते व त्यातून मानवी जीवनाचे स्वरूप आणि ते जीवन यशस्वीपणे जगण्याचा संदेश मिळत असतो. त्यामुळे व्यक्तिमत्वविकासासाठी सुभाषितांचा अमूल्य उपयोग आहे.
अशा सुभाषितांचा एक संग्रह श्री. अग्निहोत्री यांनी भाषांतरासहित प्रसिध्द केला ही साहित्याला एक मोठी देणगी आहे. या संग्रहामध्ये धर्म, तत्वज्ञान, अध्यात्म, मानवी संबंध, नीतिशास्त्र, सामाजिक स्वास्थ्य, विनोद, प्रहेलिका, समस्यापूर्ती अशा कितीतरी विषयांना स्पर्श करणारी सुभाषिते आहेत. विद्यार्थ्याना यांचा उपयोग आहेच. विशेषत: संस्कृत शिकणार्या सर्व लहानथोरांना या संग्रहातून संस्कृत भाषेचे तर ज्ञान होईलच पण त्याचबरोबर त्यांचे व्यवहारज्ञानही परिपूर्ण होईल यांत शंका नाही. इतका सुंदर, वाचनीय आणि उपयुक्त ग्रंथ संपादित केल्याबद्दल श्री. अग्निहोत्रींचे मन:पूर्वक अभिनंदन.
Fr. Bertie Rosario SJ
02 May 2017 05 30 AM
Bhashasu mukhya madhura divya girvan bharati. I always believed in that. My high school teacher, Mr. Atre introduced me to this great langauge, created interest and liking in us students, took extra classes free of cost for TMV exams. I have passed two of these. In my long career as a teacher and administrator I have been using some of the shlokas and subhashitas to make my speeches and sermons effective and impressive. Now I have your book Subhashitratnamala as a great help for my future speeches and sermons. What you have said in the introduction is what I have been following so far and with the index you make my work easy. I just have to look for the topic in that index and I have the matter ready as God has blessed me with the gift of the gab. I am very grateful to you for all your painstaking efforts put into the composition of this treasure. The translation in English, Marathi and Hindi has an added advantage. Do continue the good work and let me have the benefit of the same. Thank you and all the best.